✍️ धनंजय तिवारी
झारखंड के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए पहली बार पलामू जिले में थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित बच्चों के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट की दिशा में ठोस कदम उठाया जा रहा है। पलामू में 116 थैलेसीमिया के पेशेंट है। इस कड़ी में आगामी 27 दिसंबर को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) हॉल, मेदिनीनगर में विशेष HLA मैचिंग शिविर का आयोजन किया जाएगा। इस शिविर में जिले के सभी पंजीकृत थैलेसीमिया एवं सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित बच्चों का HLA मैचिंग परीक्षण किया जाएगा। यह जानकारी पलामू के सिविल सर्जन डॉ. अनिल श्रीवास्तव ने दी। उन्होंने बताया कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट ही इन गंभीर आनुवंशिक बीमारियों का स्थायी इलाज है और HLA मैचिंग इसकी पहली और सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है। शिविर के माध्यम से बच्चों के उपयुक्त डोनर की पहचान की जाएगी, जिससे आगे चलकर सफल ट्रांसप्लांट का रास्ता खुलेगा। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि पलामू समेत पूरे झारखंड में बड़ी संख्या में बच्चे थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित हैं, जिन्हें जीवनभर नियमित ब्लड ट्रांसफ्यूजन और महंगे इलाज पर निर्भर रहना पड़ता है। इस पहल से न केवल बच्चों को बेहतर और स्थायी इलाज की उम्मीद मिलेगी, बल्कि उनके परिवारों को भी मानसिक और आर्थिक राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि शिविर में विशेषज्ञ डॉक्टरों और प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की टीम मौजूद रहेगी। बच्चों और उनके परिजनों को HLA मैचिंग प्रक्रिया, बोन मैरो ट्रांसप्लांट की संभावनाओं और आगे की उपचार योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। सिविल सर्जन ने जिले के सभी थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित बच्चों के अभिभावकों से अपील की है कि वे निर्धारित तिथि को अपने बच्चों के साथ शिविर में अनिवार्य रूप से उपस्थित हों। उन्होंने कहा कि यह पहल पलामू ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक नई उम्मीद और मील का पत्थर साबित होगी।
