पलामू में भय का माहौल... पुलिस अपराधियों के साथ मिलकर खेल रही पैसे का खेल, पलामू में सुरक्षा भगवान भरोसे : पूर्व मंत्री, के एन त्रिपाठी | In Palamu, the police are playing with the safety of the public


पलामू, प्रतिनिधि :
झारखण्ड सरकार के पूर्व मंत्री के एन त्रिपाठी ने आज मेदिनीनगर में प्रेस बयान जारी कर कहा है कि पलामू में पुलिस जनता के सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है। पलामू एसपी को पलामू के लोगों के सुरक्षा से नहीं है कोई लेना देना।
      जारी बयान में उन्होंने कहा है कि राजद नेता जयशंकर ठाकुर हत्याकांड में पत्थर माफिया के इशारे पर बिना बरसात व घोर गर्जना के बज्रपात से मौत की संभावना उनकी अनुसंधान की दक्षता व क्षमता पर सवालिया निशान खड़ा करता है‌।आज ऐसे ही पुलिस अधिकारियों की अकर्मण्यता व भ्रष्टाचार में आकंठ संलिप्तता की वजह से पुलिस की विश्वसनीयता संदिग्ध होती जा रही है।हम जयशंकर ठाकुर हत्याकांड की उच्चस्तरीय जाँच की मांग करते हैं।
     जयशंकर ठाकुर हत्याकांड में राजनीतिक दबाव व आन्दोलन की चेतावनी की वजह से चिकित्सकों ने डेड बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए रांची रिम्स रेफर कर दिया। नावबाजार महफूज हत्या मामले में परिजन पलामू एसपी पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं जो जांच का विषय है।
    बयान में उन्होंने कहा है कि जब से रिष्मा रमेशन ने एसपी के तौर पर पलामू में योगदान दिया है, तबसे सामंती माफियाओं व अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है।इनके कार्यकाल में पुलिस रक्षक के बदले भक्षक व लूटेरी बन गई है।जिन थाना प्रभारियों को कभी कर्तव्यहीनता के कारण लाइन हाजिर कर दिया गया था,अब पैसे लेकर उनकी पोस्टिंग खूलेआम की जा रही है।इनके समय में एससी/ एसटी अत्याचार अधिनियम का प्रयोग  के०एन०त्रिपाठी  के खिलाफ आसानी से किया गया, लेकिन दलित/आदिवासियों के असली अत्याचारी उत्पीड़कों पर कई मुकदमें मोहतरमा ने दर्ज ही नहीं होने दिया है?
     क्या कारण है कि टाईगर मोबाइल दस्ते के एससी/ओबीसी पिस्टलधारी जवानों को टीएसपीसी के साथ कथित मुठभेड़ में भेजकर बलि का बकरा बनाने वाले अभियान एसपी का तो तबादला कर दिया जाता है, लेकिन इसके लिए ज्यादा जवाबदेह पलामू एसपी रिष्मा रमेशन के तबादले पर सरकार विचार नहीं करती है, यद्यपि की मात्र तीन/चार महीनों से पदस्थापित  डीआईजी का बिना कोई स्पष्ट कारण के तबादला कर दिया जाता है?

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