शहर को विकास के जगह फूहड़ता के दलदल में धकेल रहे प्रथम मेयर व चैंबर अध्यक्ष : दीपक तिवारी | Dandiya Night programme organise at Gandhi Garden


डांडिया इवेंट में अतिथि स्वरूप राजनीति नेता को बुलाकर छवि धुमिल करने की हुई प्रयास

जनता को बुलाकर, उनके साथ मारपीट कर पूजा में विधि व्यवस्था, शांति व सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की हुई खुलेआम कोशिश

प्रथम महापौर और चैंबर अध्यक्ष आखिर किस ओर ले जा रहे हैं शहर को?

इवेंट्स की आड़ में शिक्षा और रोजगार की अनदेखी

पलामू की जनता पूछ रही—हमें ज्ञान व संस्कार चाहिए या इवेंट का झूठा सपना?

डांडिया नाइट में जनता से हुई मारपीट पर झामुमो के युवा नेता व्यक्त की तिखी प्रतिक्रिया

झारखंड मुक्ति मोर्चा के युवा नेता दीपक तिवारी ने जिला मुख्यालय मेदिनीनगर के गांधी उद्यान में आयोजित डांडिया नाइट कार्यक्रम में आम जनता, मनोरंजन प्रेमियों के साथ अमर्यादित व्यवहार, मारपीट व धमकी की घटना पर तिखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने का कि दुर्गपूजा एवं अन्य धार्मिक कार्यक्रमों एवं आयोजनों में शांति और सौहार्दपूर्ण माहौल के लिए मिसाल कायम करने वाले, अमन-चैन की शहर को प्रथम मेयर अरूणा शंकर एवं उनके पति, कार्पोरेट जगत से संबंधित व चैंबर अध्यक्ष ने शांति व्यवस्था भंग करने की कोशिश की है। सामाजिक सदभावना व सौहार्दपूर्ण माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की है। डांडिया नाइट में अनुचित एवं औचित्यहीन प्रदर्शन शहर की छवि धूमिल किया है। साथ ही आम नागरिकों की भावनाओं को भी आहत किया है। साथ ही डांडिया इवेंट में अतिथि स्वरूप मंत्री, सांसद, विधायक, राजनीति नेताओं को बुलाकर उनकी छवि को धूमिल करने की प्रयास की गई। जनता को अपमानित किया गया। अमन-पसंद की इस शहर में ऐसी घटना लोगों को आहत करती है। इस घटना से शहर व जिले के लोग स्तब्ध हैं। शालीन व  सामाजिक सौहार्द बनाने वाला इवेंट होने के बजाए प्रथम मेयर व चैंबर अध्यक्ष फूहड़ता परोस रहे हैं। जबकि उन्हें इससे बचना चाहिए। बड़े नामचीन व सम्मानित नेताओं व जनता को भी अपमानित किये जाने वाले ऐसे इवेंट में शिरकत करने से परहेज करना चाहिए। बिना प्रशासनिक अनुमति या सांस्कृतिक या सामाजिक उद्देश्यों के विरुद्ध ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन खेदजनक है। शहर के लिए यह सौभाग्य की बात रही कि स्थानीय प्रशासन की तत्परता व उनका हस्तक्षेप सामाजिक सौहार्द बनाए रखने का बेहतर काम किया है। 

दीपक तिवारी ने कहा कि प्रथम मेयर व चैंबर अध्यक्ष के लगातार ऐसे-ऐसे अशोभनीय कारनामे शहर को पीछे धकेल रहा है। उनका यह हरकत तेजी से बदलते समय में शहरों की पहचान और संस्कृति किस दिशा में जाएगी, यह सवाल आज अहम हो गया है। चैंबर अध्यक्ष व उनके सहयोगी कॉर्पोरेट घराने शहर व समाज को फूहड़ता की ओर ले जा रहे हैं या शिक्षा और विकास की दिशा में? यह सोंचने का विषय है। मनोरंजन के नाम पर फूहड़ता परोसने का कार्य हो रहा है, लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे की ओर उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा। चमचमाती रोशनी वाले इवेंट्स और दिखावे की होड़ ने युवाओं को आकर्षित तो किया है, लेकिन इससे सामाजिक मूल्यों और संस्कारों पर भी सवाल उठ रहे हैं। यही ट्रेंड जारी रहा तो शहरों की ऊर्जा केवल फूहड़ उपभोग संस्कृति में उलझकर रह जाएगी। 

अपनी जिम्मेदारी समझें चैंबर अध्यक्ष, प्रथम मेयर व कॉर्पोरेट घराने

यदि कॉर्पोरेट घराने अपनी ज़िम्मेदारी समझें और शिक्षा, कौशल विकास, स्टार्टअप्स, और पर्यावरण के क्षेत्र में ध्यान दें और समाज को इस दिशा में प्रेरित करें, तो यह शहर को विकास और प्रगति की नई ऊँचाइयों तक ले जाया जा सकता है।

स्थानीय नागरिक भी उठाने लगे सवाल

डांडिया नाइट में मारपीट, दुर्व्यवहार की घटना पर जनता भी अब सवाल खड़ा करने लगे हैं। जनता कह रही कि- *क्या उन्हें केवल मनोरंजन चाहिए या रोजगार, चरित्र, ज्ञान व संस्कार का उजाला या इवेंट की चमक-दमक का झूठा सपना?* समाज का बड़ा वर्ग चाहता है कि चैंबर व कारपोरेट घराने अपनी पूँजी का उपयोग ऐसे प्रोजेक्ट्स में करें, जिनसे आने वाली पीढ़ी को बेहतर शिक्षा, रोजगार और सुरक्षित भविष्य मिल सके। ऐसे में चैंबर व कॉर्पोरेट जगत को फूहडता के जगह शिक्षा और विकास की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि समाज को दिशा मिल सके।

चैंबर अध्यक्ष व प्रथम मेयर जनता को कहाँ ले जाना चाहते हैं

दीपक तिवारी ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि शहर को चमक-दमक और दिखावे की अंधी दौड़ में झोंकने वाले प्रथम मेयर व उनके पति जनता को कहाँ ले जाना चाहते हैं? क्या वे शिक्षा, रोजगार और विकास की असली ज़रूरतों को पूरा करेंगे या फिर केवल फूहड़ता और उपभोग की अंधी संस्कृति फैलाकर समाज को खोखला कर देंगे? स्पष्ट है कि इस दौड़ में सबसे बड़ा नुकसान युवाओं और समाज की मूल सोच का हो रहा है। पढ़ाई-लिखाई और रोजगार की जगह चमक-दमक का झूठा सपना परोसा जा रहा है। यह प्रवृत्ति न केवल खतरनाक है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अंधकार की ओर धकेल रही है। अगर वे सचमुच जिम्मेदार हैं, तो उन्हें चाहिए कि वे स्कूल-कॉलेज, लाइब्रेरी, स्किल सेंटर, अस्पताल और बुनियादी ढाँचे के विकास की ओर ध्यान देना चाहिए। औचित्यहीन प्रदर्शन व अनुचित आचरण व ऐसे इवेंट का आयोजन कर बाउंसर से जनता को पिटवाना कदापि उचित प्रतीत नहीं होता है।

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